झारखंड में जेपीएससी पर विवाद: क्या बैकफुट पर आएगी हेमंत सरकार?

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 झारखंड में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों और छात्र संगठनों ने सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। प्रमुख न्यूज़ चैनल "इंडिया वॉइस" पर एक डिबेट शो के दौरान इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई, जिसमें बीजेपी के प्रवक्ता, छात्र नेता संजीत साह, और जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के नेता शामिल हुए।

झारखंड में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी)
 झारखंड में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी)


चर्चा के दौरान संजीत साह ने जेपीएससी की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जेपीएससी में अनियमितताएं हो रही हैं, जिससे योग्य उम्मीदवारों का हक मारा जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि छात्रों के हितों की रक्षा के लिए सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।

वहीं, सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रही है और सभी अनियमितताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डिबेट में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए? संजीत साह समेत अन्य छात्रों और विपक्षी नेताओं ने इस पर जोर दिया कि सिर्फ एक स्वतंत्र जांच एजेंसी ही इस मामले की सच्चाई को सामने ला सकती है।

इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने जेपीएससी के अध्यक्ष को बर्खास्त करने की मांग भी उठाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान नेतृत्व में आयोग अपनी साख खो चुका है और इसमें सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

हेमंत सोरेन सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह इस मुद्दे का समाधान निकालें, क्योंकि इसने छात्रों और युवा मतदाताओं के बीच नाराजगी बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर किस तरह से प्रतिक्रिया देती है और क्या वह बैकफुट पर जाती है या मजबूती से अपने फैसलों का बचाव करती है।

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